Friday, January 18, 2013

01 जनवरी 2013


~ भूषण लाम्बा~
इस तिरंगे का क्या महत्व मैं नहीं जानती,
पेट है खाली और तन ठण्ड से ठिठुर रहा,
कोई लेले तिरंगा दो चार पैसे मुझको दे,,
मिटा लू भूख की जलन ओर पेट मेरा भरे.

~नैनी ग्रोवर~
मेरी मासूम आँखों में, बस इक सपना है,
हाथों में है तिरंगा, देश तो मेरा अपना है ...
आज बेच रही हूँ, कल गर्व से लहराऊंगी,
तब देखूंगी इन दरिंदों में, दम कितना है

~किरण आर्य~
मुस्कान मेरी बुने है सपने
जो है नितांत मेरे अपने
यह देश जो है मेरा भी अपना
यहाँ पूरा होगा मेरा हर सपना
आज ये तिरंगा बेचती सोच रही
इस तिरंगे तले मिलेगा आसरा
मेरी भी अरमानो को और इक
बेफिक्र सी हंसी सजे मेरे भी लबो पर

~बालकृष्ण डी ध्यानी~
मै आशावादी
जैसा भी है
पर है मेरा हिन्दुस्तान
हाथ लिये तीन रंग
कह रही है मंद मुस्कान
जैसा भी है
पर है मेरा हिन्दुस्तान
जितना भी है
उतना मे मिले आराम
सोच को बदलना है
बस मेरा देश है महान
जैसा भी है
पर है मेरा हिन्दुस्तान
बिलख उठाता है
वो जो सुने किसी का रुदन
एक नही कितने पल का
मै करों आज बखान
जैसा भी है
पर है मेरा हिन्दुस्तान
आशवादी मै भी
और साथ मेरा देश आज
कभी तू सुधरेंगें
मेरे भी ये हालत
जैसा भी है
पर है मेरा हिन्दुस्तान
जैसा भी है
पर है मेरा हिन्दुस्तान
हाथ लिये तीन रंग
कह रही है मंद मुस्कान
जैसा भी है
पर है मेरा हिन्दुस्तान

~ भूषण लाम्बा ~
क्या बोलू में कुछ कह न सकूँ
ये हाल बच्ची का सह न सकूँ,
भूख से व्याकुल ठण्ड से सिहरती,
दो पैसे पाने की उम्मीद में मुस्काती
ठंडी में आई तिरंगा बेचने के लिए
देश की बेटी पापी पेट भरने के लिए .

~जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु ~
भारत में मेरा भविष्य,
मुझे नहीं पता है,
मिल जाये मुझे रोटी,
ये है मेरा सपना,
जाता मै भी स्कूल,
बस्ता लेकर,
जो अधिकार है मेरा,
लेकिन! कौन है मेरा,
भारत भूमि पर अपना

~ प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ~
देश मेरा भी
देश तुम्हारा भी
सपने मेरे भी
सपने तुम्हारे भी
अपने सपनों की खातिर
तिरंगा लाई हूँ
मेरे सपनों से
खिलवाड़ न करना
जितना हक जीने का
तुम्हारा है
उतना हक मेरा भी है
उसी शान से उसी मान से
तिरंगा हमारी पहचान हो
रुसवा न कोई जिंदगी हो
बुरी नज़र का साया न हो
सुख खुशी की छाया हो
एक नए भारत के लिए
मैं भी बदलती हूँ
लेकिन तुम्हें तो
पूरी तरह बदलना होगा
मानसिकता को बदलना होगा
सोच को बदलना होगा
नर नारी का भेद मिटाना होगा
चलो अब मेरे साथ
एक नया भारत देखे .


सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

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