Friday, January 18, 2013

02 जनवरी 2013








~केदार जोशी एक भारतीय~
मेरे हाथो में आपका हाथ हो ..
जब इस हसीन खवाब से मेरी मुलाकात हो ,,
भूल जायेंगे दुनिया के हर गम ,
जब आप हमारे साथ हो

~सुनीता शर्मा~
समाज का दर्पण हैं नर नारी ,
चलती है जिससे दुनिया सारी ,
विश्वास के पहिये पर चलती गाड़ी
अनैतिक मूल्यों पर पड़ रही अब भारी ,
हाथों में लिए हाथ बढाओ स्नेह डोरी ,
सृजक का अपमान न कर बनके व्यापारी ,
जीवन चक्र को कुचलने की न शक्ति तुम्हारी ,
विपदा में नारी भोग्या बन रह गयी बेचारी ,
अनैतिक नरों का चिन्तन बढ़ा रही है लाचारी ,
संस्कृति का मान बढायें ,बुझे न अब दामिनी की चिंगारी .
भविष्य की नीव रखे अभी, बनेगा तब जीवन गुणकारी !

~प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ~
हाथ थाम कर, छोड़ मत देना
ये डर नही विश्वास कह रहा है
चलते रहे यूं ही कह रहा 'प्रतिबिंब'
दोस्ती यूं बनी रहे ये चित्र कह रहा है

~नैनी ग्रोवर~
चल हाथ में, थामें हाथ मेरा
कहीं बहुत दूर, गगन की और..

ना कोई गम हो, न हो भय
ना खुशियों का, हो कोई छोर..
ना परवाह हो, तुच्छ सोच की
ना हो प्रीत पे, किसी का ज़ोर..
चल आ चलें ऐसे चमन की और ..

~भगवान सिंह जयाड़ा~
नए साल की नई प्रभात ,
थामें एके दूजे का हाथ ,
यूँ ही चलते रहे सदा हम ,
पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ ,
मिट जाए ग़मों का अन्धेरा ,
आये खुशियों का नया सबेरा ,
न मुश्किलों का डर हो यहाँ ,
अपना सा हो यह सारा जहां ,
रहें मिलकर सब यहाँ साथ ,
थामे यूँ ही एक दुसरे का हाथ ,

~जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु~
जीवन साथी
जिंदगी के सफ़र में,
हम सफ़र हो तुम मेरी,
तेरा मेरा साथ रहे,
कविमन मेरा यही कहे,
तुम हो मैं भी हूँ,
नहीं तो अस्तित्वहीन हूँ,
तुम्हारे बिना,
नव वर्ष पर,
तुम्हे शुभकामनायें मेरी......

~Virendra Sinha Ajnabi~ .
तूफानों से क्या बचाना अपने आपको,
मेरी ये जिंदगी जब तेरे हाथ में हैं,
मुझे नहीं रहा डर अब तूफानों का कोई,
जब से आया तेरा हाथ मेरे हाथ में है

~किरण आर्य~
थाम लो हाथ मेरा
तो चलती रहू निरंतर
मैं इस जीवन पथ पर
संभालो जब गिरने लगूं
या बैठ जाऊं मैं हारकर
हाँ ये साथ और हाथों में हाथ
रहे सदा विश्वास और प्रेम संग
भाव सागर कर ले पार हम तुम
थाम इक दूजे का हाथ साथी मेरे

~प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल~
हाथ थाम मुझे चलना सिखा देना
मुझे मेरे सपनों से तुम मिला देना
प्रेम सफर हो 'प्रतिबिंब' या जीवन का
जिंदगी से जिंदगी को तुम सजा लेना

~अलका गुप्ता~
हाथ थाम मस्ती में.....बागों से गुजरना तेरा |
फिजाओं में वो कहकहे लगा के......हंसना तेरा |
कुछ पाने की आरजू में... कुछ खोने को मन मेरा |
भूल जाऊं गम जमाने के,बस हाथ में हाथ हो तेरा ||

~बालकृष्ण डी ध्यानी~
गीत तेरे साथ का
दे दे तेरा हाथ मेरे
इन हाथों मे
मै तो मांगो साथ तेरा बस
इन राहों मे
दे दे तेरा हाथ मेरे
इन हाथों मे …………

सूरज भी करे इकरार अब तो
ना करो इनकार जानम अब तुम इन राहों में
कर लो इजहार लेके मेरा हाथ इन हाथों मे
दे दो थोड़ा प्यार मुझे इन राहों मे
दे दे तेरा हाथ मेरे
इन हाथों मे …………

साथ साथ चलें हम-तुम अब तो
इन बहारों मे
कांटे तेरे पग के चुन लों
इन राहों से
आंसूं दे दे तेरे सारे मुझको आँखों के
मुस्कान मेरी ले ले तू इन गुलाबों से
दे दे तेरा हाथ मेरे
इन हाथों मे …………

गीत तेरे साथ मे यूँ ही
गन- गुनाता जाओं इन राहों से
साथ मुझे देदो तुम अब तो जाना
मै तुम्हरी जिंदगी बन जाऊँगा
सिंधूर बनकर मांग मे यूँ सज मै जाऊंगा
दे दे तेरा हाथ मेरे
इन हाथों मे …………

गीत तेरे साथ का
दे दे तेरा हाथ मेरे
इन हाथों मे
मै तो मांगो साथ तेरा बस
इन राहों मे
दे दे तेरा हाथ मेरे
इन हाथों मे
 

सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

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