Friday, January 18, 2013

20 दिसंबर 2012



~प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ~
याद है 
बात एक रात की
सर्द रात मे बस
तलब एक चाय की।
ठिठुरते हाथो मे
कुल्हड़ को थामे
पीते चाय स्टेशन की।

~बालकृष्ण डी ध्यानी ~
कुल्हड़ की चाय दिखते ही
याद आ गये वो पल अनमोल
ठंडी सिकोड़ती वो रातें हों
ठिठुरती आयी वो रंगीन सवेर
गरम चाय पिला दे रै छोटू
लेलै अपने दो आने गिन
पीछे छुट गया वो बचपन
बूढ़ापे में बीते दिन अब बीन
लेलो कुल्हड़ की चाय भैया
अब भी कुल्हड़ ,चाय वो दो आने की
कुल्हड़ की चाय दिखते ही
याद आ गये वो पल अनमोल

~किरण आर्य ~
ठण्ड की सर्द ठिठुरन
हाथों को कंपकपा जाय
ऐसे में मन को रिझाय
कुल्हड़ की सौंधी खुशबु
और इक अदद गर्म चाय

~भगवान सिंह जयाड़ा ~
कड़कती सर्दी की रात हो ,
सफ़र में स्टेशन की बात हो ,
कुल्लड की चाय साथ हो ,
वाह मजा ही कुछ और है ,

~किरण आर्य ~
ठण्ड और चाय का साथ
साथ में कुल्हड़ हो हाथ
सर्द चाहे हो कितनी रात
मन कहे क्या बात क्या बात

~अलका गुप्ता ~
यहाँ विदेश में आती है याद |
सुड़कते हुए बाबा का चाय पीना |
उनकी नकल में मेरा भी पीना |
कुल्हड़ को चुपकेसे काटके खाना|
वह मिटटी का सोंधा सा स्वाद |
भूला नहीं मन देश की पहचान ||

~अरुणा सिंह ~
एक चाय का प्याला
एक तुम्हारा साथ
एक सुहाना मौसम
बन गयी अपनी बात

~Virendra Sinha Ajnabi .~
ठंड और कोहरे का कुफ़्र जब हो जाय,
मुंह से निकले भाप, कुल्फी जम जाय,
उँगलियाँ अकडें, और हड्डी कड़कड़ाय,
अमृत लगे, कुल्हड़ में गर्म गर्म चाय... )

~डॉ. सरोज गुप्ता ~
सुन आहट
शुरू हुयी सुगबुगाहट
देख कुल्हड़ तो
मच गया हुल्हड
सारे यात्री
पीने को मसाला चाय
मचाने लगे शोर हाय
रेल हो और चाय हो कुल्हड़ में
मजा कैसे न आये!!!!

~केदार जोशी एक भारतीय ~
फिर से कुल्हड़ की याद आ गयी
ठण्ड में बैठे चाय की याद आ गयी ,
कुछ तो स्वाद कुल्हड़ का है ,
बाकि की मिटास चाय की है

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