Friday, January 18, 2013

25 दिसंबर 2012



~प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ~

बड़े जतन से बनाया 
यूं घरौंदा आशाओ का 
एक जीवन खिलेगा 
सांस को जहां मिलेगा
माँ की ममता पाकर
जीना वो खुद सीखेगा
पंख लगेंगे जब अंग
उड़ेगा हौसले के संग
यूं घरौंदा आशाओ का.....

~नैनी ग्रोवर~
कभी कड़ी धूप, कभी आँधियों से,
कभी ज़माने की निगाहों से, बचाया है..

दूर दूर से इकठ्ठा कर, तिनका तिनका
बच्चों की खातिर, इक घर बनाया है..

लगता है डर बहुत, गिद्ध की नज़रों का,
इसलिए घने पेड़ की, पनाह में छुपाया है..

वाह मेरे मालिक, मैं जाऊं सदके तेरे,
कितने ही जतन से तूने, ये जहां सजाया है

दूर दूर से इकठ्ठा कर, तिनका तिनका

~बालकृष्ण डी ध्यानी ~
प्रणाम मेरा घोंसला
चारों दिशाओं से खोखला
वृक्ष हीन राह जाऊँगा
एकदा ही याद आऊँगा
प्रणाम मेरा घोंसला
बसती है वो बस्ती मेरी
जीवन ही वो अब गति मेरी
चुग-चुग दाना कँहा लाऊंगा
काट कर जब विहीन हो जाऊँगा
प्रणाम मेरा घोंसला
जिंदगी जो खिलती है
वो मेरी टहनियों में मिलती है
जब पूरी तरहा छाटा जाऊँगा
घोंसला कंहाँ सजाऊँगा .....
घोंसला कंहाँ सजाऊँगा
प्रणाम मेरा घोंसला

~केदार जोशी एक भारतीय ~
दुनिया के डर से अन्डो को बचाए कैसे
लोग की बुरी नजर से अपना घर बचाए कैसे
इस दुनिया में संघर्ष करना पड़ता है जीने के लिए
लोग बेकाबू हो जाते है खुद को बचाए कैसे

~भगवान सिंह जयाड़ा ~
आशाओं का एक घरौंदा बनाया
मेहनत से तिनका तिनका जोड़ कर
बच्चों की चहचाहट गूंजेगी कुछ दिन में
रह कर ममता की छाँव में
उन को भी पर लगेंगे जब
उड़ जायेंगे घरौंदा छोड़ कर
मोह माया का यह कैसा जाल
रचाया ईश्वर ने इस जग में
चले जाते है आखिर सब
जग में अकेला छोड़ कर

~किरण आर्य ~
घरौंदा आस का चुन स्नेह तिनको से बनाया
प्यार का आशियां है इसमें हमने बसाया
इस नीड़ में उम्मीदे जब लेंगी जन्म हमारी
तो नीड़ ये महकेगा अहसासों से हर घडी
सीचेंगे उम्मीदों को संस्कारों की खाद से
ये घरौंदा महककर देगा सार्थकता जीवन को

~अलका गुप्ता ~
घोंसला बनाया था ...तिनके-तिनके जोड़ कर
सेहे थे पाले थे अंडे.. बहुत प्यार से सहेज कर
तोड़ दी आस सारी हिंसक एक दानव ने आकर
गौरैया मैं नन्हीं हूँ हाय ! बचालो उन्हें दया कर

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