Monday, March 18, 2013

17 मार्च 2013 का चित्र और भाव





कल्पना बहुगुणा 
छोटा बच्चा जान के मुझसे ना टक्राराना.रे
जो टक्रायेगा उसका यही अंजाम होगा रे
तुम क्या चीज़ हो हम पत्थर को भी मात दे सक्ते है रे
चाहे तो आजमा के देख लो रे

Jayvardhan Kandpal 
डर का कोई जिकर नहीं है.
कल की कोई फिकर नहीं है.
ये निश्छल बचपन है मेरा,
दुनिया की कोई खबर नहीं है....


नैनी ग्रोवर
छोटे-छोटे पाँव रख कर, आसमान तक जाउंगी,
रोको मत मुझे कोई, अब मैं ये सह ना पाऊंगी..

देखना है दुनिया को, मुझे सितारों पे होके सवार,
नहीं डर मुझको इसका के, फिसल के गिर जाऊंगी.. !!


सुनीता शर्मा 
देखो मुझको माँ बाबा डांट रहे ,
चिल्लाकर रोकर वापिस बुला रहे ,
मेरी बढ़े नन्हे कदमो को रोक रहे ,
गिरने का भय मुझको दिखला रहे !

बड़े भटका रहे हमे इतना भोला हूँ क्या ,
पुरातत्व स्मारकों में रखा है क्या ,
अपनी मंजिल ढूँढने से डरना क्या ,
छोटा हूँ पर बडो से कम हूँ क्या !

हर कदम पर शीश नवा रहा,
कदमों का विश्वास जगा रहा ,
पीछे संसार छूटता देख रहा ,
अपनी उपलब्धियों पर हंस रहा !

जीवन पथ होता चट्टान सा कड़ा ,
दादा जी की कहानियों में पढ़ा ,
मुश्किल से हर कदम मेरा बड़ा ,
यहाँ पहुँच मेरा हौसला और बढ़ा !

हाँ -हाँ आज मैं बहुत खुश हुआ ,
नही पता कैसे यहाँ तक पहुँच गया ,
मन मौजी हूँ इस पत्थर की औकात क्या ,
जब चाहे अपनी नयी राहें खोज लिया !

बचपन से ही भविष्य नीव देखनी ,
हमे अपनी दिशा स्वयं बनानी ,
मिटे अधकार आए उजाले की रौशनी ,
हमने ही भारत की दिशा हालत सवारनी !


अरुणा सक्सेना 
रोज़ स्कूल जाना पड़ता था, दिन भर कलम चलाना पड़ता था
आज बहुत है मुझको फुर्सत ,स्कूल बंद हुए हैं अभी बस

नटखट मासूम नज़र हूँ आती , नानी शैतान की मैं कहलाती
मासूम समझ कर ना फुसलाना ,दिखा रही हूँ नया कारनामा


रोली पाठक .....
चाँद को भी छू लूँगी
बादलों पर बैठ कर
नन्हे हैं कदम मगर
आसमां छूने की ख्वाहिश है....


बालकृष्ण डी ध्यानी 
वो मंजील आज

दो एकम दो
दो दोनी चार
पा लिया मैंने सारा संसार
ना मानूंगी हार जाऊँगी उस पार
मेरे मन देना तू मेरा साथ

दो तियां छेह
दो चौक आठ
मंजिल नही दूर अब मन भरा विशवास
देना होगा मुझको अब अपने से ही मात
मेरे तन देना तू मेरा साथ

दो पंजे दस
दो छक बाराह
खेल खेल में ही यूँ ही
इच्छा शक्ती जगेगी मेरी आज
मेरे मन देना तू मेरा साथ

दो साते चौदह
दो आठे सोलह
साथ मेरे है बम बम भोला
आके तू भी संग मेरे हो जा
मेरे तन देना तू मेरा साथ

दो नवम अठारह
दो दस मे बीस
देखो कितना आसन है ना
ये पहाड़े का संसार
मेरे मन देना तू मेरा साथ

सीख ले मन तू भी आज
छोटे छोटे बच्चों के साथ
इसी तरह ही पाना है तुझे
लक्ष्य की वो मंजील तेरी आज
मेरे तन देना तू मेरा साथ



Pushpa Tripathi
- आज मै ऊपर आसमां नीचे ...

इत्ता इत्ता पानी
गोल गोल रानी
लाल रंगीली जूती मेरी
मीठे मीठे बोल ....

इत्ता इत्ता पानी
गोल गोल रानी
करूँ शरारत जी भर मै तो
घर हो या कोई छोर ......

इत्ता इत्ता पानी
गोल गोल रानी
लुढ़क धुलक चढ़ जाऊं मै
न हो कोई डर ..........

इत्ता इत्ता पानी
गोल गोल रानी
नीचे आसमां ऊपर धरती
सब है झोलम झोल .........

इत्ता इत्ता पानी
गोल गोल रानी
चलूँ रास्ते बिन पैरों से
देखो मेरा कमाल ......

Virendra Sinha Ajnabi .
देखने वालों ये न समझो कि मै इसे तोड़ रहा हूँ,
कुछ टूटता देख नहीं सकता, मै इसे जोड़ रहा हूँ,
बड़े काम में लगती है ताकत और मेहनत दोनों,
मुझे थका देख ये न समझो मै आशा छोड़ रहा हूँ...


अलका गुप्ता 
मैं बचपन ! अनजान निश्चिन्त राह का पथिक एक |
मैं ढलता ! हसरतों की सीढियाँ चढ़ता हर पल अनेक |
रूठता मचलता झिझकता हंसता चहकता अबोध सा |
जैसे मिटटी हो कुम्हार की निराकार गीला लौंदा एक |

चढ़ता चला जाउंगा प्राचीरों की ढलानों पर |
चटकती हुई लावारिश खुरदरी तहरीरों पर |
माँ की चिंतित सी भयभीत हिदायतों के बीच ..
गुजरगा बचपन यूँ चहकते बहकते खेलों पर ||


डॉ. सरोज गुप्ता 
मैं चाहे बच्चा हूँ
~~~~~~~~~~
मैं चाहे बच्चा हूँ ,
नहीं अक्ल का कच्चा हूँ !
जोश नहीं है मुझमें कम ,
सामने आ जाए चाहे यम ,
लडूंगा मैं जब तक है दम ,
मैं चाहे बच्चा हूँ ,
नहीं अक्ल का कच्चा हूँ !!

मैं चाहे बच्चा हूँ ,
नहीं खाया गच्चा हूँ !
हटाने आया सबका गम ,
पिया मैंने कर्म का रम ,
हटा दूंगा फैला तम !
मैं चाहे बच्चा हूँ ,
नहीं खाया गच्चा हूँ !!

मैं चाहे बच्चा हूँ ,
बहुतों से मैं अच्छा हूँ !
फैला आतंक का कोला हल,
बनाया किसने यह खूनी बम,
कभी मानव था सुंदर तम ,
मैं चाहे बच्चा हूँ ,
बहुतों से मैं अच्छा हूँ !

मैं चाहे बच्चा हूँ ,
ईश्वर का दूत सच्चा हूँ !
दरारें मिटाकर लूंगा दम ,
करके सबका मन शम ,
विश्व-बन्धुत्व पढ़ाएंगे हम !
मैं चाहे बच्चा हूँ ,
ईश्वर का दूत सच्चा हूँ !!


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
~जिंदगी कहने दो !!!~
फोटो देखकर आप क्या सोचने लगे
हिम्मत या फिर हौसला देखने लगे
थोडा बडा होने दो, जिंदगी देखने दो
जो खेल है आज उसे जिंदगी कहने दो

आज का मेरा हौसला और मेरी हिम्मत
जिंदगी में एक दिन बनेगे ये मेरी ताकत
साथ चलकर ही बनेगी अपनी हर बात
तभी होगी मेरे जीवन की अच्छी शुरुआत



किरण आर्य 
मेरे हौसलों की उड़ान क्या कहिये
हाँ छोटा हूँ बहुत अभी हौसले बड़े

शरारती सा देखो मैं उल्टा हूँ खड़ा
चट्टानों सा अडिग हौसला मेरा है बड़ा

शैतानों के भी छुड़ा दूँ मैं छक्के खड़े खड़े
पानी है भरते मेरे आगे देखो बड़े बड़े

बच्चा समझ मुझे हलके में लेना नहीं
मैं हूँ भविष्य संभावनाए मुझमे है बसी

जाना मैंने चीटी चाहे होती है जीव छोटा
लेकिन हौसला उस सा ही रखता हूँ मैं खोटा

नादानियों में छिपी है कारस्तानियाँ मेरी
बच्चा समझ मुझे हलके में लेना नहीं
मैं हूँ भविष्य संभावनाए मुझमे है बसी


सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

1 comment:

  1. मेरे अपने स्वजनों का ब्लॉग जहाँ हम देते हैं अपनी मन की उड़ान को नयी दिशा भाईसाहब के संग ...निरंतर प्रगति की दिशा में ....नित्य नए प्रखर व् मंत्रमुग्ध करते भावों संग ,सभी को सादर बधाई !

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शुक्रिया आपकी टिप्पणी के लिए !!!