Sunday, March 24, 2013

23 मार्च 2013 का चित्र व् भाव





नैनी ग्रोवर 
ऐ भारत माँ के लाडलो, तुम्हें कोटि कोटि प्रणाम,
धन्य-धन्य तुम्हारी वीरता, धन्य-धन्य है बलिदान..

जिसकी खातिर हो गए तुम, भरी जवानी में कुर्बान
गीत तुम्हारे गुनगुना रहा है, आज सारा हिन्दुस्तान .. !!!



बालकृष्ण डी ध्यानी 
शहीदों को सलाम

फिर आया २३ मार्च
ये आंखें नम हुयी
आँखों में चमक बन
फिर वो छाये वो
फिर याद आये वो

शहादतों की शहादत पर
फिर मेरा सलाम
याद करूंगा आज उनको
कल फिर करूंगा आराम
फिर याद आये वो

कंहा खो गये वो
झूल गये थे जो मेरे लिये
अपनो के लिये
अपने में खो गये थे वो
फिर याद आये वो

माँ तुझे सलाम
तेरे इन सपूतों को मेरा प्रणाम
फिर आयेगा २३ मार्च
फिर सुमन पुष्प अश्रु होंगे मेरे हाथ
फिर याद आये वो

फिर आया २३ मार्च
ये आंखें नम हुयी
आँखों में चमक बन
फिर वो छाये वो
फिर याद आये वो



Pushpa Tripathi 
धन्य है धरती के सुपुतों
धन्य है तुम्हारा बलिदान
भारत माता के रक्षक बनकर
धन्य हुआ सारा संसार ....

मेरा रंग दे बसंती चोला रटते
हर दिल में देश प्रेम फैलाया
अपनी धरती पर मिटने वालों
हे वीर जवानों तुम्हारे जज्बे हौसले को शत शत सलाम .. जय हिन्द


अलका गुप्ता 
.......शत-शत नमन है मेरा इन वीर शहीदों को .......

सोचो माँ के ह्रदय को... जिनके लाल शहीद हो जाते हैं |
न्यौछावर वह प्राण... आहुति ममता की भी बन जाते हैं |
संस्कार ये वीरों से देशहित पर सबका वह गर्व बन जाते हैं |
धन्य है माँ जिनकी हुंकारों से धरती माँ के बेटे वे कहलाते हैं ||



ममता जोशी 
किसी वक़्त आज सा ही मार्च का महिना रहा होगा,
जब पेड़ पलाश के सुर्ख फूलों से लद रहे होंगे,
गेहूँ की पकती बालियाँ और चेत्र का मनमोहक चाँद होगा ,
जब कोयल की प्यासी कूक से मन उद्वेलित हो रहा होगा,
और ऐसे बावरे बसंत में
तुम्हारी आँखों ने १ नए मुल्क का ख्वाब देखा ,
और तुमने उस सपने के लिए शहादत दे दी ,
तुम शहीद हो गये भगत...

लेकिन आज उस सपने का क्या हुआ ,
१०० साल बाद भी मुल्क वहीँ कोल्हू के बैल की तरह घूम रहा है ,
वतन के हर जख्म से खून रिस रहा है ,
बस शासन करने वालों के हाथ बदल गए हैं,
वो विदेशी थे अब स्वदेशी हैं......

आज फिर वही मार्च का महिना, वही पलाश के सुर्ख फूल और वही बसंत ,
और आज फिर देश शहादत मांगता है ,
लेकिन मेरी नीदों में तो बस क्षणिक सुखों का सपना रहता है,
३० तारिख का इंतज़ार करते करते मुझे २३ तारिख याद ही नहीं रहती ,
मुझे तुम्हारी शहादत याद ही नहीं रहती भगत,
क्यूंकि मै भारत माँ की नालायक औलाद हूँ
मै भगत सिंह नहीं हूँ.


भगवान सिंह जयाड़ा 
शहीद दिवस है आज ,
भारत के बीर सपूतों का ,
भारत माँ के वीर सपूतों ,
तुम्हें कोटि कोटि प्रणाम ,
मात्रि भूमि को शीश चढ़ाया,
दिया प्राणों का बलिदान ,
गुलामी में जकड़ी थी माँ ,
यह सहन कभी न किया ,
आजादी का जोश दिलों में ,
युवावों में नव संचार किया ,
बनें अंग्रेजो की मुसीबत ,
उन का चैन हराम किया ,
चूमा हंस कर फांसी का फंदा ,
मात्रि भूमि को नमन किया ,
बलिदान तुम्हारा याद आज ,
सारा भारत वासी कर रहा ,
बलिदान दिवस पर सब मिल ,
आज तुम्हें ,शीश नवा रहा ,
भारत माँ के वीर सपूतों ,
तुम्हें कोटि कोटि प्रणाम ,



प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
~ एक सन्देश ~
मैं हूँ भगत, मैं हूँ राजगुरु, मैं हूँ सुखदेव
हम ने देखा था सपना भारत की आजादी का
हमने प्रेम वतन से किया, मोहब्बत उससे निभाई
मतवालों संग चढ़ गए शूली, जब इसकी बारी आई

आज भारत आजाद है, यह देख हमें खुशी होती है
कुर्बानी रंग लाई आखिर हमारी, देख हमें गर्व होता है
संस्कृति संस्कार लुप्त हो रहे, देख हमें दुःख होता है
इंसानियत को भूल चुके हो, आज ये हमें दर्द देता है

शुक्रिया, साल में एक बार आप हमें याद कर लेते है
कोई बात नही है, देश को रोज तुम याद किया करो
सोचना देश के लिए जरुरी है सोच उसकी किया करो
जब वक्त आये कुर्बानी का तो न फिर पीछे देखा करो

जय हिन्द ! वन्दे मातरम ! जन जन हिन्दुस्तान !



अशोक राठी 
ऐसा भी क्या हुआ कोई मेरी बोली नहीं बोलता
बंद दिमाग, बंद दरवाजे कोई खिडकी भी नहीं खोलता
जल रहा है देश घर के ही चिरागों से
लानत है किसी का खून भी नहीं खौलता


सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

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