Friday, March 1, 2013

28 फरवरी 2013 का चित्र और भाव



Pushpa Tripathi 
- हे ईश -

सत सत बलिहारी जाऊं मै
हे ईश .. तुम्हारे चरणों में
पाकर ज्ञान का वरदान प्रभु
जीवन धन तर जाऊं मै .....

प्रथम प्रणाम मेरा तुम्हे
शुचि तन मन से स्वीकार करो
नियमित जीवन के शुभकार्य पर
अधिकार तुम्हारा फलीभूत करो

नैनी ग्रोवर
प्रथम प्रणाम ऐ माँ तुझको है,
इसका हक और किसी को नहीं है ..

नौ महीने अपना खून दे के पाले,
फिर खिलाये अपने हिस्से के निवाले,
तुझसा कहीं और कोई, कभी नहीं है
इसका हक ना ...

बच्चों को सूखे बिस्तर पे सुलाती है
और खुद गीले बिस्तर पे सो जाती है,
तू है तो इस जग में, कोई कमी नहीं है
इसका हक ना .. !!

अलका गुप्ता 
---------------------ॐ-----------------------

प्रथम प्रणाम हे !प्रभु आपको कर लो स्वीकार तुम |
सम्भालो हे !ईश निराधार हम,जीवन आधार तुम ||

हे ! प्रभो तुम त्रिकाल - दर्शी ,तुम ही विघ्न हर्ता ।
सर्वत्र जगत में व्याप्त तुम्हीं हो ,हे ! लायकर्ता।।
तेरा ही धरें ध्यान हम , ...........हे ! कृपानिधान ।
पाप से होवें विमुख हम, दीजिए दया नम्रता दान ।।



अलका गुप्ता 
सुन लो प्रार्थना मेरी हे भगवान् !
देना सबको उत्तम स्वास्थ्य !
निर्विघ्न करना सबके काज !
सत्कर्मो में ही हो सबका विशवास !
फैलें तेरे ही आगे हम सबके हाथ !
सबका सब विधि हो कल्यान !
होवे दुखिया ना कोई सृष्टि में प्राणधारी !
हे ईश सब सुखी हों कोई न हो दुखी !
सब हों निरोग धन धान्य के भंडारी !|
भेद भाव भूल के पावें प्रसाद हर देहधारी !
आत्म चिंतन का गहन मंथन हो !
हो काँधे पर मेहनत का भरोसा !
तोड़ ना देना आत्म-बल किसी का !
जब परीक्षा का समय कठिन हो !!


बालकृष्ण डी ध्यानी 
प्रथम प्रणाम

प्रथम प्रणाम मेरा
मेरे गुरुवर आपके चरणों के सदा साथ रहे
हम रहे ना रहे यंहा पर
वो स्मरण हमेशा हरदम हमारे साथ रहे

याद रहे मेरा वो झुकाव
इस शीश पर सदा आपका हाथ रहे
वंदन के शब्द मुख से मेरे गुरुवर
निरंतर गंगा धार की तरह बहे

अभिवादन मेरा सदा आपको
प्रथम प्रणाम इस हिर्दय में सदा आपका रहे
मूल हूँ आपका मौलिक विचार सदा आपसे रहे
प्रथम प्रणाम मेरा श्रेष्ठ और आधारभूत रहे

अछूता नही हूँ आपसे आपके संस्करों से
कर्म के मार्ग की मै रहा बनो आपके आशीषों से
भटक भी अगर जाऊं मै कभी सदमार्ग से
ज्ञान ज्योत ऐसे जलना ना जाऊं मै उस मार्ग पे

प्रथम प्रणाम मेरा
मेरे गुरुवर अंतिम पलों तक आपके साथ रहे
हम रहे ना रहे यंहा पर
वो स्मरण हमेशा हरदम हमारे साथ रहे


किरण आर्य 
...............प्रथम प्रणाम .........
सर्वप्रथम तो भोर की प्रथम किरणों संग
पृथ्वी को प्रथम प्रणाम
जो हर कष्ट सहती सहलाती हर भाव

फिर सुमरे मन प्रभु को मेरे
जिनका साथ करे निर्मल मन को
जो भर दें मन में ओज और जान

फिर गुरुवर को हमारा प्रणाम
गुरु जो करते राह प्रशस्त हमारी
और भर देते जीवन में ओज एवं प्राण

फिर प्रणाम हमारा माँ को हमारी
जो हंसके दुलारे हमें
निस्वार्थ सेवा ममता से पूर्ण मान

फिर प्रणाम हमारा उस पिता को
जिनकी अंगुली थाम सीखा चलना
दिया जिन्होंने कर्म करने का ज्ञान

और इक प्रणाम अपने सखा बन्धुओ को
जिनका असीम स्नेह करे प्रेरित
जो है हमारे व्यक्तित्व से बंधे हमारी शान

इसी तरह सत्कर्म करते बीते जीवन
संग अपनों के रखे सभी का मान
हौसले संग हो शुरू सुबह और बीते हरेक शाम


प्रजापति शेष 
इस धरती का में सभ्य प्राणी,
जीवन जीता औरो के हित,
अक्षुण्ण रखंू इसको अभिराम,
मुझे धारण करती धरती को प्रथम प्रणाम...

मैरा जीवन सफल सुरक्षित हो,
इस हेतु जो करती सदा प्रयास,
मेरी चिंता में रहती आंठॅों याम,
मेरी पुजनीय मॉं को प्रथम प्रणाम....

जिसकी तुलना किसी से ना हो,
जिसके जैसा और ना हो,
उनके आगे लघु हो सारे आयाम,
उन पुज्य पिता को मेरा प्रथम प्रणम

Pushpa Tripathi 
- अरुण्योदय -

करती प्रमाण सर्व प्रथम तुम्हे
भास्कर चैतन्य मन जागा है
अंधियारों से हमें निकालकर
काली रजनी को टाला है .......

अवलंब तुम्हारे ही ऊपर
जीव ..मानव .. सृष्टि का अस्तित्व टिका
केसरिया सुर्ख लाल किरणों के चांचल्य से
चौखट वसुंधरा का लांघा है

भगवान सिंह जयाड़ा 
प्रथम प्रणाम तुम्हें हे सूर्य देव भगवान् ,
शौर्य और ऊर्जा का दे हम को बरदान ,
सुबह उठ कर प्रथम ,करें तुम्हारा ध्यान,
दया से तम्हारी बना रहे ,सदा मान सम्मान ,
अपनी आभा से यूँ ही सदा ,जग को चमकाना ,
गुलसन रुपी दुनिया को सदा यूँ ही महकाना ,


अरुणा सक्सेना 
प्रथम प्रणाम आपको ,सुनना कृपा निधान
माता पिता के बाद मेरे ,आप ही भगवान्
बुद्धि ,विद्या और ज्ञान का ,दे देना वरदान
शालीनता से रहे सुसज्जित , ना करें कभी अभिमान ...


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
प्रथम प्रणाम मेरा जग जननी तुझको
अपार देती तू स्नेह हर पल हम सबको
माँ शब्द की उत्पत्ति भी हुई है तुझसे
प्रेम ममता व् त्याग की पहचान तुझसे

आँख खुले करता तुझको प्रथम प्रणाम
तुझ संग होता माँ - पिता को प्रणाम
सृष्टी के रचियता को मैं करता प्रणाम
आशीर्वाद लेने पूर्वजो को करता प्रणाम

अज्ञान का हटे अँधेरा ज्ञान का हो संचार
प्रकृति से प्रेम का रखे सब यहाँ विचार
आदर व् स्नेह की बहती रहे यहाँ बयांर
पहचाने, अपनाएं अपनी संस्कृति व् संस्कार


Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 

प्रथम प्रणाम ......

पंचतत्व निर्मित ..
बिखरी रूह को हमारे देते जो आयाम ।
उस ऊपरवाले को खुदा, भगवान, जीजस ..
जो भी दो तुम नाम।
उन्ही की चरणों में ..
मेरा प्रथम प्रणाम ।

एक मेरी मुस्कान, लगती बेशकीमती जिन्हें ..
देने वो नन्ही मुस्कान हमें, दर्द लगी खुशियाँ जिन्हें ।
अपने विधाता को, मेरे जन्मदाता को ।
उनकी तस्वीर को, पाया उन्हें, अपनी तकदीर को ।
मेरा प्रथम प्रणाम

इंसान से इंसानियत ..
चुटकी सी मुस्कान देने, लबों को किसी की ..
आजीवन करते हैं जो काम ..
चल सके हम भी इस राह पर ..
उन्ही की राहों को ..
मेरा प्रथम प्रणाम ।

जीना है तो जिंदादिल जियें ।
देश पर शीश जिन्होंने सजदे किये ..
खड़े सीमा पर जो जवान ।
उन प्रहरियों को ..
जागरूक शहरियों को ..
मेरा प्रथम प्रणाम ।



Govind Prasad Bahuguna 
प्रथम प्रणाम कर ईश्वर को जिसने सबका सृजन किया
फिर प्रणाम कर धरती को जिसने सबको धारण किया
जिसकी माटी से उपजे सबके मात - पिता
जिसने सबको पोषण का आधार दिया
फिर प्रणाम कर मात पिता को जिसने तुमको जन्म दिया



सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

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