Wednesday, November 20, 2013

14 नवम्बर 2013 का चित्र और भाव



जगदीश पांडेय 
क्यूँ छेंड दिये बीते वक्त के तार
कि यादें कंपन्न हजार करनें लगे
एक उम्र बीती है भुलानें में तुम्हें
क्यूँ साँसों में मेरे फिर से बजनें लगे

नासमझ थे वो मेरे झंकृत मन से
सुना दो धुन आज वो कहनें लगे
निकला जो सुर बाद जुदाई के आज
मोती आँखो से अश्कों के बहनें लगे
क्यूँ छेंड दिये बीते वक्त के तार
कि यादें कंपन्न हजार करनें लगे

Pushpa Tripathi
 - सुर सुनहरे बन पड़े .......

धुन सुन मन से जो निकली
आवाज बन गई सुर ध्वनि
कितने रंगों में 'पुष्प '
बन गई गीत नई .......
तार तार बज पड़े
खिल उठी आवाजे मेरी
ह्रदय की सजी प्रेम बेला में
प्रियतम सरगम सुर बजे ……
पुकारती यादों का मिलन
साँझ सकारे चल पड़े
हर युग में संगम हो अपना
संगीत मधुरतम बन पड़े …!!!


नैनी ग्रोवर 
शाम ढले, जब मैं बैठूं, खोल दरीचे,
ना जाने कौन दूर से, मन को खींचे,
ह्रदय से निकलती है, किसकी पुकार,

डूब रहा क्षितिज में, सुनहरी सूरज,
गूँज रहे सृष्टि में, बांसुरी के स्वर,
बज रही है पाँव में पायल की झंकार,

ये नीर भरी नदिया, जैसे इठलाती है,
सृष्टि ही संग इसके, गुनगुनाती है,
छा जाती है तब, मेरे मन में भी बहार... !!


बालकृष्ण डी ध्यानी 
सरगम

धुन बनी है वो
गीत तेरे नाम का
स्वर लहरी धूम कि
मन के उस सोच कि
धुन बनी है वो.................................

विस्तार हुआ है वो
दस्तक दी है दिल के द्वार पर
सात सुरों का पैमाना
छलके मन के मीनार पर
धुन बनी है वो.................................

कौंदी थी वो अचानक
सरगम कि उस तार पर
दो शब्द उभरे उभरे मेरे
मापक बन उस सितार पर
धुन बनी है वो.................................

धुन बनी है वो
गीत तेरे नाम का
स्वर लहरी धूम कि
मन के उस सोच कि
धुन बनी है वो.................................


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
....अपना सा संसार----
गूंजते रहे गीत व् संगीत के स्वर
बहती रहे हर सुर से प्रेम बयार
छू ले अंतर्मन को सुरों की झंकार
महकते रहे रिश्तो के बोल मधुर
सौहार्द का संगीत अब जाए निखर
देश भक्ति का भाव बन जाए डगर
'प्रतिबिम्ब' गा रहा जिंदगी का सफ़र
मिला लो सुर, अपना सा होगा संसार


Pushpa Tripathi 
…… पुष्प तराने बन गए ……

न जाने कितने रंगों में
गीत सुहाने बन गए
भोर की मधुर किरणों में
जीवन तराने बन गए l

गुजरा समय यादों के झरोखे
स्वप्न सुनहरे शाम तले
मीठी बातों में सुर लहरी
जीवन घर घर में गूंज रहे l

नाचे है धरती और गगन
'पुष्प ' की बगिया में फूल नए
महकी सांसे घुलती यादें
धुन .... धुन मिल गुन, गीत नए l


सुनीता पुष्पराज पान्डेय 
छेड़ी जो तूने प्रेम की सरगम पिया
गा उठा फिर मेरा बावरा मन पिया
तुम मेरे सुर मै तेरी आवाज पिया
तू मेरी वीणा मै तेरी झंकार पिया
तू मेरी नैया मै तेरी पतवार पिया
तू मेरा जीवन मै तेरा संगीत पिया
तू मेरा माली मै तेरे बागोँ की कोयल पिया


सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

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