Friday, June 26, 2015

१८ जून २०१५ का चित्र




    • सपना
    • आज सुबह आया एक सपना
      सच जैसे कोई हो अपना,!!!
      एक राजा अद्भुत ऐसा था
      सिर पर जिसके मुकुट सजा था,!
      लगता था वह बिल्कुल अलग,
      हाथ में उसके सजे खड्ग !

      ना कोई सिंहासन था,
      ना लगा कोई दरबार.!
      ऐसे खड़ा हुआ था वो
      जैसे कोई पहरेदार..!!!!


  • नैनी ग्रोवर -- दरबार --

    मैं ही हूँ राजा, मैं ही हूँ दरबार, 

    अपने घर का हूँ मैं तो पहरेदार,
    निभाता हूँ ख़ुशी से, हर फ़र्ज़ अपना,
    माँ बाप की सेवा, बच्चों को प्यार, 
    भाई बहनों का भी रखूँ ख्याल, 
    पत्नी संग बाँटूँ सभी अपने विचार,
    मेहनत की कमाई मैं घर लाता हूँ, 
    देती है चैन मुझे, मेरे घर की दीवार,
    दुखी जनों की भरपूर सेवा करूँ, 
    ना करूँ कभी किसी पे अत्याचार,
    शालीन और सभ्य हैं सभी दोस्त मेरे, 
    क्यों ना कहलाऊँ राजा, ऐ मेरे यार..!! 

  • प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल .....
    ~यथा प्रजा तथा राजा~ 


    आधिपत्य मेरा, प्रजा मेरी
    सिंहासन पर बैठा सोच रहा था 
    मेरे हर आदेश का जहाँ
    सर झुकाकर पालन होता है
    मिलता जो मान सम्मान 
    क्या मैं उस पर येंठ रहा हूँ 
    क्या मैं खुद को खुदा समझ रहा हूँ 

    मैं अपनी झूठी शान में नही 
    सच्चे काम मैं विश्वाश रखता हूँ
    स्नेह आदर प्रजा से छीनना नही 
    अपने कर्म से अर्जित करना चाहता हूँ 
    मेरी प्रजा ही मेरा अस्तित्व है 
    इसलिए मैं गर्व से कहता हूँ 
    यथा राजा तथा प्रजा नही 
    यथा प्रजा तथा राजा होना चाहिए


  • 1. तलवार और राजा
  • सर पर मुकुट हो तो 
    हाथ में तलवार चाहिए
    अपनी नहीं तो भी

    प्रजा की सुरक्षा चाहिए... 

  • 2..चतुर सत्ता मोहरा राजा
    वो सिर्फ मोहरा था
    उसका किरदार राजा होना था
    सत्ता सत्ता खेला खेल रहे थे सातिर
    राजा बेआँख बनाक बेकान बेमुंह था
    उसे राजा ही होना था........ 

  • प्रभा मित्तल 
    ~~मन की अभिलाषा~~


    मेरे मन की अभिलाषा है
    सिर पर मुकुट सजा हो
    हाथ में दोधारी तलवार
    तन पर कवच कसा हो
    और मन में भरा हो प्यार।
    ये युग है प्रजातंत्र का
    यहाँ सत्ता का है मोह बड़ा
    लोकतंत्र के इस युग में 
    मैं राजा होना चाहता हूँ
    पाखण्ड से लोहा लेकर
    राष्ट्र बचाना चाहता हूँ
    ज्ञान की लौ जलाकर
    अंधेरा मिटाना चाहता हूँ।

    सुनते आए हैं,बुरा न बोलो
    बुरा न सुनो, बुरा न देखो
    पर, आँखे बंद कर लेने से
    बुराई नहीं मिट जाती है
    पर उपदेश कुशल बहुतेरे
    संकट के बादल घिरे घनेरे
    अब वक़्त नहीं कहने-सुनने का
    करना है अब काम तमाम,
    हे दयानिधे ! मुझमें शक्ति भर दो -
    अपने प्रण पर अडिग रहूँ..ऐसा वर दो- 
    भ्रष्टाचार को जड़ से काटकर
    गद्दारों को दूर भगाकर
    जात-पाँत का भेद मिटाकर
    वहशी-आतंकियों से कर दूर
    प्रजा का सुरक्षा- कवच बनना चाहता हूँ
    कठिनाई को दूरकर देश बचाना चाहता हूँ
    इसीलिए इस युग में राजा बनना चाहता हूँ।

  • बालकृष्ण डी ध्यानी 

    बीते दिनों की है ये कहानी ……

    बीते दिनों की है ये कहानी 
    एक था राजा और एक थी रानी 

    तलवार की नोक वो बड़ी पुरानी
    बस लहू बहा जैसे बहता हो पानी 
    हकूमत का अंधा जोर कहो 
    या कहो उसे तुम मनमानी 
    बीते दिनों की है ये कहानी ……

    शान शौकत की वो सवारी 
    कभी घोडा कभी हाथी की रवानगी 
    अहंकारी अदम की वो जवानी 
    सर्वनाश निश्चित था फिर भी मनमानी 
    बीते दिनों की है ये कहानी ……

    अब रह गये बस किस्से कहानी 
    छोड़ गये ताज और कुछ निशानी 
    कुर्सी किला और खंडहर की जुबानी 
    एक था राजा और एक थी रानी 
    बीते दिनों की है ये कहानी ……


  • ~~शीश मुकुट ~~


    ऐश्वर्य भोगें !
    खड्ग हस्त ले !
    शीश मुकुट !

    ले दर्प हार !
    राज मद भोगते !
    श्वेतधारी ये !

    ह्रदय हीन !
    चेहरे सपाट से !
    भाव विहीन !

    कठपुतले ये !
    रंगे चंट सियार !
    राजनीति के !

  • देखो भाई कलयुग का प्रताप 

    इस युग का कलयुग है राजा 

    चढ़ जाये जिस पर उसका बज गया बाजा !

    सर पर पैसों का मुकुट,
    हाथ मे पापों की तलवार ,
    जाये जिस ओर इसका होता जयजय कार !

    देश विदेश के भ्रमण करता ,
    जहाँ चाहे वहा ,वही पर रहता !

    इसका एकछत्र अधिकार,
    चोरी ,लूटमारी ,बलात्कारी न जाने कितने है इसके अधिकारी !

    जहाँ पड़ती इसकी छाया 
    वहाँ पर हाहाकार मचाया 

    देखो इसकी माया का प्रताप 
    जो फैली चारों ओर ,

    इसका न कोई भाई बहन है 
    न ही इसके माँ और बाप 
    न ही मित्र है इसका 
    न ही इसमें प्रेम सत्कार !

    जैसा है ये पकड़ दूसरो को बनाये अपना जैसा !
    पैसा ही है इसकी माया 
    सारे कलयुग मे पैसा ही छाया !!


सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

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